पोरा तिहार | Pola Festival in Chhattisgarh

Anganaduwari
2 min readSep 6, 2021

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पोला तिहार जेला गंवाई भाखा म पोरा घलौ कहि देथें ए तिहार ह बइला पूजा के तिहार होए।हमर अन (अन्न) देवईया हमर भुइँया अउ किसान के संग म बिहान ले संझा तक ले अपन जांगर पेरईया बईला के मान-मनउल करे के तिहार होए पोरा।

राखी तिहार के थोरेच कन दिन के गए ले तीजा-पोरा तिहार ह होथे तेकर ब जम्मो महतारी मन बाट जोहत बईठे रइथें कि पोरा तिहार ब आए बेटी ल तीजा के गए ले फेर ससुराल भेजबो अऊ संगे संग घर के छोट छोट लईका मन अगोरा म रइथें कि खेले ब खेलउना पाबो। किसान भई मन अपन खेत म लहरावत फसल ल जोहत रइथें के पोरा तिहार ब अन ह गरभ धारन करहि (पोठरी पान) त हमर धान के फसल ह बढ़िया होही। जम्मो कति ले पोरा तिहार ह उत्सुकता के तिहार रइथे।

कब मानथें पोरा

भादो महीना म अंधियारी पाख के जाती बेरा के पन्द्रहि म अमावस के दिन छत्तीसगढ़ म पोरा के तिहार ल मानथे।

पोरा तिहार के बिसेसता

ए तिहार म लकड़ी अउ माटी के बईला अऊ बरतन जईसे कि जाँता, पोरहा, चुल्हा, कराही, चुकलिया-मलिया (खेती किसानी अऊ अन्न ले जुड़े जम्मो चीज) के पूजा होथे। पूजा होए के गए ले जम्मो जिनिस मन ल घर के लईका मन ल खेले ब दे देथें। लईका मन माटी के बईला ल लेके पारा भर म बुलवार के खेलथें। अईसे कर के लइका मन अपन संसकिरति अउ सुरता राखथें अऊ आघू बढ़ाथें।

काबर मानथें पोरा तिहार

ए तिहार ल खेती के दूसरा चरन, माने के निंदाई-कोड़ाई के पूरा होए के खुसी म मानथें। बईला मन के सहयोग से खेती के काम ह चालू होथे अउ पूरा घलौ होथे तेकर ब बईला मन के आभार करे अउ किसान मन अपन फसल के बाढ़े के खुसहाली

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